-विज्ञान साधना,आराधना एवं प्रार्थना है: डॉ जे.एम.एस राणा
-17 शोधकर्ताओं को श्रेष्ठ शोध पत्र से सम्मानित किया
हल्द्वानी। लामाचौड़ स्थित एमआईईटी कुमाऊं कॉलेज में दो दिवसीय अंतरराष्ट्रीय सम्मेलन का समापन किया गया। सम्मेलन में सतत विकास के लिए विज्ञान, प्रौद्योगिकी एवं कृषि विज्ञान विषय पर कुल 256 शोधार्थियों ने शोध पत्र प्रस्तुत किए। दूसरे दिन भौतिकी, गणित, नवाचार,उद्यमिता, शिक्षा, स्वास्थ्य विज्ञान के शोधकर्ताओं ने 91 शोध पत्रों पर चर्चा की। इस दौरान कॉलेज ऑफ नर्सिंग के स्नातक छात्रों ने पोस्टर प्रस्तुति दी। विद्यार्थियों ने पर्वतीय क्षेत्रों में स्वास्थ्य संबंधी समस्याओं एवं उनके समाधान पर पोस्टर प्रस्तुत किये।
समापन समारोह में मुख्य अतिथि उत्तराखंड लोक सेवा आयोग के पूर्व अध्यक्ष डॉ जे.एम.एस राणा, उत्तराखंड विज्ञान शिक्षा एवं अनुसंधान केंद्र (यूसर्क) की निदेशक डॉ अनीता राणा और प्रबंध निदेशक डॉ बी.एस बिष्ट ने शोधार्थियों को प्रमाण पत्र एवं सम्मान चिन्ह प्रदान किये।इस दौरान पोस्टर प्रेजेंटेशन में एमआईईटी पैरामेडिकल की छात्रा नीलोफर,बीबीए से गौरव अधिकारी और वैष्णवी, बीएससी नर्सिंग से तनुजा और प्रतिभा को 1100 रुपए का नगद पुरस्कार दिया गया। श्रेष्ठ शोध पत्र में भौतिक विज्ञान से डॉ विशाल कुमार शर्मा, डॉ गौरव कुमार उपाध्याय, डॉ बिना तिवारी, गणित में राधा, हेमल प्रसाद, नीतीश, स्वास्थ्य विज्ञान में गौरव जोशी और रोहित पुजारी, इनोवेशन एवं सस्टेनेबल डेवलपमेंट में डॉ निधि नगर, नीरज कांडपाल, केमिस्ट्री में डॉ राजेश, डॉ जोगेंद्र रौतेला, पूजा, जीवन विज्ञान में डॉ कृष्ण कुमार टम्टा, सचिन पांडे, इंजीनियरिंग एवं टेक्नोलॉजी में आशीष भट्ट को पुरस्कार दिया गया।
मुख्य अतिथि डॉ जे.एम.एस राणा ने कहा कि विज्ञान और विकास एक ही सिक्के के दो पहलू हैं। विज्ञान साधना, आराधना एवं प्रार्थना है। इस प्रकार के अंतरराष्ट्रीय सम्मेलन में जब मंथन होता है, तो समस्याओं का समाधान निकलता है। उन्होंने समुद्र मंथन का जिक्र करते हुए कहा कि जिस प्रकार समुद्र मंथन से अमृत निकला था। इस प्रकार विज्ञान जब मंथन करता है, तो जीवन का अमृत निकलता है। विज्ञान एक साधना है जो जीवन को अर्थ देती है। सतत विकास के लिए विज्ञान की भूमिका महत्वपूर्ण है।
यूसर्क की निदेशक डॉ अनीता राणा ने कहा कि हमारा मुख्य उद्देश्य उत्तराखंड के हर बच्चे में विज्ञान के प्रति जागरूकता लाना है। हमने उत्तराखंड के 13 जिलों में से प्रत्येक में चार प्रयोगशालाएँ बनाई हैं। जिनमें छात्र विज्ञान सीखते हैं। 55 स्टेम सेल लैब का निर्माण किया गया है। बाल और युवा वैज्ञानिकों को प्रेरित करने के लिए एक सप्ताह का निःशुल्क व्यावहारिक प्रशिक्षण कार्यक्रम आयोजित किया जाता है।
प्रबंध निदेशक डॉ बी एस बिष्ट ने कहा कि अंतरराष्ट्रीय सम्मेलन का आयोजन उत्तराखंड राज्य विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी परिषद (यूकास्ट) एवं उत्तराखंड विज्ञान शिक्षा एवं अनुसंधान केंद्र (यूसर्क) के सहयोग से हुआ है।
इस अवसर पर कार्यकारी निदेशक डॉ तरुण कुमार सक्सेना,एसीआईसी देवभूमि फाउंडेशन के सीईओ डॉ कमल रावत, मीडिया हेड अजय चौधरी,अखिल गौतम,मनोज अग्रवाल का सहयोग रहा।
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