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एआई और आपराधिक प्रवृत्तियों ने मिलकर साइबर दुनिया में एक नई समस्या को जन्म दिया : डॉ ब्रिजेश कुमार गुप्ता



मेरठ। वर्तमान तकनीकी युग में नये-नये तकनीकी आविष्कारों के कारण अपराध जगत भी आधुनिक होता जा रहा है। आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस और आपराधिक प्रवृत्तियों ने मिलकर साइबर दुनिया में एक नई समस्या को जन्म दिया है, जिससे पुलिस अधिकारियों की जिम्मेदारी और अधिक बढ़ जाती है। उपरोक्त विचार एमआईईटी मेरठ के प्रोफेसर डॉ. ब्रिजेश कुमार गुप्ता ने भारत सरकार के गृह मंत्रालय के अधीन केंद्रीय खुफिया प्रशिक्षण संस्थान, गाजियाबाद में पुलिस अधिकारियों के लिए आयोजित साइबर अपराध जागरूकता कार्यक्रम के दौरान व्यक्त किए। तकनीकी सत्र "साइबर क्राइम इन्वेस्टिगेशन में आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस" में अपने संबोधन में प्रोफेसर गुप्ता ने कहा कि मशीन लर्निंग एक ऐसी तकनीक है जिसकी मदद से मशीनों में आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस हासिल किया जा सकता है।

आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस में वो सारी तकनीके शामिल हैं जिनकी मदद से मशीनों में इंसानों की तरह काम करने की क्षमता को विकसित किया जा सकता है। मशीन लर्निंग भी उन्हीं तकनीकों में से एक है जिसकी मदद से एक मशीन मॉडल डाटा से सीखता है जिसके लिए उस मॉडल को ट्रेन करना पड़ता है और अलग से फीचर्स बताने होते हैं। जबकि डीप लर्निंग एक मल्टी न्यूरल नेटवर्क की मदद से खुद ही डाटा से फीचर्स पता कर लेता है और बिना किसी इंसानी हस्तक्षेप के अपना आऊटपुट देता है। डीप लर्निंग भी मशीन लर्निंग का ही एक सबसेट है। जिसकी मदद से आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस को प्राप्त किया जा सकता है।

प्रोफेसर गुप्ता ने सभी को आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस द्वारा उत्पन्न साइबर हमलों, बॉटनेट से सुरक्षा के बारे में विस्तृत जानकारी और वर्तमान में उपयोग किए जाने वाले विभिन्न उपकरणों के बारे में भी बताया।

 इसके अलावा उन्होंने पुलिस अधिकारियों के साथ 5जी और इंटरनेट ऑफ थिंग्स जैसी नवीनतम तकनीक के बारे में भी जानकारी साझा की। इस कार्यक्रम में भारत के कई राज्यों जैसे उत्तर प्रदेश, राजस्थान, पंजाब, दिल्ली, झारखंड के पुलिस अधिकारियों और केंद्रीय सुरक्षा बलों के 34 अधिकारियों ने प्रशिक्षण प्राप्त किया। इस दौरान एमआईईटी के चेयरमैन विष्णु सरन,वाइस चेयरमैन पुनीत अग्रवाल,डायरेक्टर डॉ बृजेश सिंह, डीन स्टूडेंट हनी तोमर आदि ने शुभकामनाएं दी।

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