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एमआईईटी के बायोटेक्नोलॉजी विभाग में 3डी बायोप्रिंटिंग जैसी नवीनतम तकनीक पर विशेष व्याख्यान

3डी बायोप्रिंटिंग से अंग प्रत्यारोपण के लिए अंगों की कमी की समस्या का होगा हल: डॉ प्रशांत सिंह चौहान 



मेरठ। एमआईईटी के बायोटेक्नोलॉजी विभाग ने 3डी बायोप्रिंटिंग जैसी नवीनतम तकनीक पर व्याख्यान का आयोजन किया गया। एटीजीसी बायोटेक प्राइवेट लिमिटेड कंपनी से डॉ प्रशांत सिंह चौहान ने कहा की 3डी बायोप्रिंटिंग एक ऐसी तकनीक है जिसके जरिए बायोइंक और बायोमटेरियल के जरिए जैविक संरचनाएं और अंग बनाए जा सकते हैं। ये संरचनाएं बिल्कुल शरीर के प्राकृतिक अंगों की तरह काम करने में सक्षम हैं। इस तकनीक का उपयोग करके शरीर के विभिन्न ऊतकों का पुनर्निर्माण किया जा सकता है। जिसका प्रयोग हड्डी, त्वचा आदि ऊतकों से संबंधित विकारों को ठीक करने में सफलतापूर्वक किया जा रहा है। इस तकनीक का सबसे महत्वपूर्ण उपयोग प्रत्यारोपण के लिए अंगों की कमी की समस्या को हल करना है।



हर साल पांच लाख से अधिक लोगों को प्रत्यारोपण के लिए अंगों की कमी की समस्या का सामना करना पड़ रहा है। ऐसे में यह सिस्टम जल्द ही इस समस्या का एक बहुत अच्छा विकल्प साबित होगा।

साथ ही, यह चिकित्सा अध्ययन में पशु मॉडल की आवश्यकता को भी काफी कम कर देता है। यह सिस्टम एक बहुत अच्छा विकल्प है। पशु मॉडल की यह तकनीक भविष्य में और भी अद्भुत और सुरक्षित स्वास्थ्य सेवाएं देने का वादा करती है। डॉ. प्रशांत ने इस तकनीक की समस्या और इसके बहुआयामी अनुप्रयोगों को बहुत ही सरल तरीके से विस्तार से समझाया।

इस दौरान संस्थान के निदेशक बृजेश सिंह, डीन संजीव चौहान, एचओडी डॉ. अविनाश सिंह,डॉ. एलिजा चक्रवर्ती, डॉ आशिमा कथुरिया, डॉ. गौरव मिश्रा, डॉ. नेहा सिंह, डॉ. सचिन तोमर, डॉ. अंकेश पांडेय, डॉ. नीतिका वत्स आदि उपस्थित रहे।

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