मूर्ति शिल्पकला एक पारंपरिक कला है, जो आज व्यावसायिक रूप ले चुकी है: रेहान अहमद
मेरठ। एमआईईटी इन्क्यूबेशन फोरम के सहयोग से स्वयं सहायता समूहों की 50 से अधिक महिलाओं के लिए मूर्तिकला निर्माण प्रशिक्षण कार्यशाला का आयोजन किया गया। कार्यशाला का उद्घाटन मुख्य अतिथि मुख्य विकास अधिकारी नूपुर गोयल, एमआईईटी के चेयरमैन विष्णु सरन, वाइस चेयरमैन पुनीत अग्रवाल, सीईओ इनक्यूबेशन रेहान अहमद, ग्रीनक्यारी के संस्थापक सुशील चौहान और सौरभ शर्मा, डॉ स्वपन सुमन ने संयुक्त रूप से दीप प्रज्ज्वलित कर किया।
इस दौरान सीडीओ नूपुर गोयल ने स्वयं सहायता समूह द्वारा हस्तशिल्प उत्पादों की गैलरी का अवलोकन किया। सीडीओ ने स्वयं सहायता समूह की महिलाओं को सशक्त बनाने, उन्हें आत्मनिर्भर बनाने और उनकी मार्केटिंग करने के लिए एमआईईटी की सराहना की।
प्रशिक्षक और ग्रीनक्यारी के संस्थापक सुशील चौहान ने महिलाओं को बताया कि वर्तमान समय में मूर्ति शिल्पकला द्वारा निर्मित देवी-देवताओं व महापुरुषों की मूर्तियां, घरों की आंतरिक साज-सज्जा की सामग्री की मांग बढ़ती जा रही है। भारतीयों द्वारा निर्मित समकालीन मूर्तियों की मांग भारत में 8 प्रतिशत व विदेशी बाजारों में 30 प्रतिशत तक बढ़ी है। पारंपरिक मूर्तियों की मांग स्थानीय बाजारों में 25 प्रतिशत और अंतर्राष्ट्रीय बाजारों में 40 प्रतिशत तक बढ़ी है। स्वयं सहायता समूह की महिलाएं मूर्तिकला का प्रशिक्षण प्राप्त कर स्वरोजगार स्थापित कर सकती हैं। इस दौरान महिलाओं को मार्बल डस्ट एवं फाइबर रेसिन से मूर्ति बनाने का प्रशिक्षण दिया।
एमआईईटी इनक्यूबेशन के सीईओ रेहान अहमद ने प्रशिक्षणार्थियों को संबोधित करते हुए कहा कि मूर्ति शिल्पकला एक पारंपरिक शिल्पकला है, जो आज व्यावसायिक रूप ले चुकी है।
डॉ स्वपन सुमन ने बताया की राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन के तहत स्वयं सहायता समूह की महिलाओं को मूर्ति बनाने का प्रशिक्षण दिया गया है। स्वयंसेवी परिधि अग्रवाल ने स्वयं सहायता समूह की महिलाओं को प्रोत्साहित किया। इस अवसर पर सुशील कुमार शर्मा, मीडिया हेड अजय चौधरी, मनोज अग्रवाल, अखिल गौतम आदि मौजूद रहे।
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