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क्वांटम कंप्यूटिंग में चुनौतियां एवं अवसर पर छह दिवसीय कार्यक्रम का शुभारंभ




मेरठ। स्टूडेंट काउंसिल ऑफ़ इनफार्मेशन टेक्नोलॉजी और कंप्यूटर सोसायटी ऑफ इंडिया के संयुक्त तत्वाधान में एमआईईटी के आईटी विभाग में छह दिवसीय फैकेल्टी डेवलपमेंट कार्यक्रम का शुभारंभ किया गया। जिसका विषय "क्वांटम कंप्यूटिंग में चुनौतियां एवं अवसर" रहा। कार्यक्रम का शुभारंभ मुख्य अतिथि पी.बी. कोचर (ग्लोबल  गुडविल  अम्बस्सडोर, हेड, हिघेर एजुकेशन,विप्रो ), मुख्य अतिथि वेंकटेश परसुराम (वाईस प्रेजिडेंट ऑफ़ कंप्यूटर सोसाइटी ऑफ़ इंडिया ) ने किया। 

मुख्य वक्ता डीकिन विश्वविद्यालय, ऑस्ट्रेलिया से जमाल एच. अब्वाजॉय ने कहा की कृत्रिम बौद्धिकता (आर्टिफिशल इंटेलीजेंस) ने चिकित्सा से लेकर हथियारों के निर्माण तक हर क्षेत्र में कंप्यूटर और रोबोट के प्रयोग को नया आयाम दिया है। पारंपरिक कंप्यूटर की दुनिया में इस प्रगति के समानांतर एक और अनुसंधान चल रहा है, जिसका नाम है "क्वांटम कंप्यूटिंग"।

सैद्धांतिक और व्यावहारिक दृष्टिकोण से क्वांटम कम्प्यूटिंग काफी कठिन कार्य है। व्यावहारिक रूप से ऐसी परिस्थिति पैदा करना जहां परमाणु गणना कर सकें और उनसे परिणाम प्राप्त हो, यह वैज्ञानिकों के लिए बड़ी चुनौती है। अच्छी बात यह है कि विज्ञान के नए शोध भारतीय एवं पश्चिमी विधियों को जोड़ने की कोशिश कर रहे हैं। 

इलेक्ट्रॉनिक्स और मंत्रालय सूचान प्रौद्योगिकी, भारत सरकार से डॉ. ओम पाल ने कहा कि ‘सत्य को जानने के लिए कभी पश्चिमी शोधकर्ता स्मृति, शरीर और दिमाग पर निर्भर रहते थे, लेकिन विज्ञान की नवीनतम ज्ञान-धारा क्वांटम कंप्यूटिंग अर्थात अति सूक्ष्मता का विज्ञान आने के बाद उन्होंने चेतना पर भी बात शुरू कर दी है। एक अनुमान के मुताबिक दुनियाभर में एक हज़ार से भी कम लोग ऐसे हैं, जो क्वांटम अभियांत्रिकी या भौतिकी में शोधरत हैं। अनेक कंपनियां कल्पनाशील एवं योग्य लोगों की तलाश में भी हैं।

कार्यक्रम में चेयरमैन विष्णु शरण, वाइस चेयरमैन पुनीत अग्रवाल, निदेशक डॉ अरुण पर्वते, दिया जी जी शास्त्री, आईटी विभाग की एचओडी डॉ स्वाति शर्मा, डॉ वकार अहमद और मीडिया प्रभारी अजय चौधरी मौजूद रहे।

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