एमआईटी में महिलाओं के मौलिक एवं कानूनी अधिकार विषय पर कार्यशाला का आयोजन
मौलिक एवं कानूनी अधिकार हर महिला या बालिका को जानने का जन्मसिद्ध अधिकार है: अंजू कंबोज
प्राचीन काल में महिलाओं की स्थिति व्यवहारिक जीवन में पुरुषों की तुलना में श्रॅष्ठ रही ही हैं: डॉ मृदुला शर्मा
Campus Adda Live | Editor Ajay Chaudhary
मेरठ। परतापुर बाईपास स्थित मेरठ इंस्टिट्यूट ऑफ़ टेक्नोलॉजी के सभागार में महिलाओं के मौलिक एवं कानूनी अधिकार विषय पर कार्यशाला का आयोजन किया गया। इस दौरान एमआईटी कॉलेज की 300 से अधिक छात्राएं एवं महिला शिक्षक मौजूद रही। आजादी का 75 वां अमृत महोत्सव के अंतर्गत और मिशन शक्ति 2.0 के तहत एमआईटी विमेन सेल द्वारा कार्यशाला का आयोजन किया गया।
कार्यशाला का शुभारंभ मुख्य अतिथि जिला विधिक सेवा प्राधिकरण से मेरठ सचिव अंजू कंबोज, विशिष्ट अतिथि मेरठ कॉलेज मनोविज्ञान विभाग की विभागध्यक्षा मृदुला शर्मा और एम.आई.टी के वाइस चेयरमैन पुनीत अग्रवाल, निदेशक डॉ आलोक चौहान, मीडिया प्रभारी अजय चौधरी ने दीप प्रज्वलित कर किया।
महिलाओं के भारत देश में विभिन्न कानूनी अधिकारों के बारे में मुख्य अतिथि अंजू कंबोज ने कहा की महिलाओं के मौलिक एवं कानूनी अधिकार हर महिला या बालिका को जानने का जन्मसिद्ध अधिकार है। उन्होंने कानूनी अधिकारों जैसे अखंडता और स्वायत्तता, शारीरिक स्वतंत्रता, यौन हिंसा से स्वतंत्रता के संबंध में महिलाओं के अधिकार, मतदान करने की स्वतंत्रता, सार्वजनिक पद धारण करने की स्वतंत्रता, कानूनी व्यवसाय में प्रवेश करने की स्वतंत्रता, परिवार कानून में समान अधिकार, काम करने और समान वेतन पाने की स्वतंत्रता, प्रजनन अधिकारों की स्वतंत्रता, शिक्षा का अधिकार, ऑफिस में हुए उत्पीड़न के खिलाफ अधिकार, आदि कानूनों के बारे में विस्तार से छात्राओं को जानकारी दी।
यौन उत्पीड़न की शिकार महिलाओं को नाम न छापने देने का अधिकार है। अपनी गोपनीयता की रक्षा करने के लिए यौन उत्पीड़न की शिकार हुई महिला अकेले अपना बयान किसी महिला पुलिस अधिकारी की मौजूदगी में या फिर जिलाधिकारी के सामने दर्ज करा सकती है।
मातृत्व संबंधी लाभ के लिए अधिकार, मातृत्व लाभ कामकाजी महिलाओं के लिए सिर्फ सुविधा नहीं, बल्कि ये उनका अधिकार है। मातृत्व लाभ अधिनियम के तहत एक नई मां के प्रसव के बाद 6 महीने तक महिला के वेतन में कोई कटौती नहीं की जाती और वो फिर से काम शुरू कर सकती हैं।
मुफ्त कानूनी मदद के लिए अधिकार, बलात्कार की शिकार हुई किसी भी महिला को मुफ्त कानूनी मदद पाने का पूरा अधिकार है। स्टेशन हाउस आफिसर के लिए ये जरूरी है कि वो विधिक सेवा प्राधिकरण को वकील की व्यवस्था करने के लिए सूचित करे।
रात में गिरफ्तार न होने का अधिकार, एक महिला को सूरज डूबने के बाद और सूरज उगने से पहले गिरफ्तार नहीं किया जा सकता, किसी खास मामले में एक प्रथम श्रेणी के मजिस्ट्रेट के आदेश पर ही ये संभव है।
गरिमा और शालीनता के लिए अधिकार, किसी मामले में अगर आरोपी एक महिला है तो, उसपर की जाने वाली कोई भी चिकित्सा जांच प्रक्रिया किसी महिला द्वारा या किसी दूसरी महिला की उपस्थिति में ही की जानी चाहिए।
संपत्ति पर अधिकार, हिंदू उत्तराधिकार अधिनियम के तहत नए नियमों के आधार पर पुश्तैनी संपत्ति पर महिला और पुरुष दोनों का बराबर हक है।
उन्होंने आगे कहा की महिलाएं अपने अधिकार और मिले कानूनी सुविधाओं के इस्तेमाल की जानकारी से अवगत होंगी तभी स्थिति में बदलाव आयेगा। जिला विधिक सेवा प्राधिकरण से निशुल्क कानूनी सहायता प्राप्त कर सकते हैं। तेजाब हमला, यौन उत्पीड़न में मिलने वाले मुआवजा का भी जिक्र किया। पोक्सो अधिनियम घरेलू हिसा अधिनियम, भरण पोषण वाद, तलाक के बारे में अन्य महिलाओं से संबंधित कानून के बारे में विस्तार से बताया।
अंतरराष्ट्रीय स्तर पर हमारा देश खेल से लेकर तकनीक और शिक्षा के क्षेत्र में आगे बढ़ रहा है। इस प्रगति में पुरुषों के साथ महिलाओं का भी उतना ही योगदान है। महिलाएं प्रगति कर रही हैं और वो आगे बढ़ना चाहती हैं। पर अधिकारों की जानकारी के अभाव में वो पीछे रह जाती हैं। भारतीय संविधान ने महिलाओं विभिन्न कानूनी अधिकारों है ताकि वो अपना आर्थिक, मानसिक, शारीरिक और यौन शोषण से बचाव कर सकें।
इस दौरान एमआईटी कॉलेज से वाइस चेयरमैन पुनीत अग्रवाल, निदेशक डॉ आलोक चौहान, मीडिया मैनेजर अजय, एचआर मैनेजर सोनल अहलावत, डीन ऐकडेमिक डॉ मधुबाला शर्मा, आरजे पियूष, आरजे सुमित, आरजे तन्वी आदि मौजूद रहे। कार्यशाला में मंच संचालन आरजे तन्वी ने किया।
कार्यक्रम में मीडिया पार्टनर दैनिक जागरण एवं रेडियो पार्टनर मेरठ रेडियो 89.6 एफएम रहा।
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